कोविड वैक्सीन पर प्रो. ढल्ला ने उठाए गंभीर सवाल, ब्लड क्लाट बना रही शरीर के भीतर

Professor Dhalla raises serious questions about the COVID vaccine

Professor Dhalla raises serious questions about the COVID vaccine

युवाओं में हार्ट अटैक बढ़ने के पीछे लाइफस्टाइल और एक्सेसिव एक्सरसाइज भी बड़ी वजह

चंडीगढ़, 20 नवंबर (साजन शर्मा): पंजाब यूनिवर्सिटी में आयोजित यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज की 55वीं आईपीएसकॉन कॉन्फ्रेंस में पहुंचे इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ कार्डियोवास्कुलर साइंसेज के फाउंडिंग डायरेक्टर व ऑनरेरी लाइफ प्रेसिडेंट प्रो. नरंजन एस. ढल्ला ने कोविड वैक्सीन, हार्ट डिजीज और लाइफस्टाइल से जुड़े कई अहम मुद्दों पर अपनी राय रखी।

प्रो. ढल्ला ने दावा किया कि दुनिया में चल रही कई वैक्सीनों ने अपेक्षित ट्रायल्स में संतोषजनक परिणाम नहीं दिए और कुछ वैक्सीनों से नुकसान की संभावनाएँ भी देखी गईं। उनके अनुसार, कोविड वैक्सीन से ब्लड क्लॉट बनने की घटनाएँ रिपोर्ट हुई हैं, जो हार्ट अटैक और अन्य हृदय रोगों का कारण बन सकती हैं। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि युवाओं में बढ़ रहे हार्ट मामलों के पीछे केवल वैक्सीन नहीं, बल्कि गलत जीवनशैली और अत्यधिक व्यायाम भी एक बड़ा कारण है।

ज्यादा नहीं, मॉडरेट एक्सरसाइज करें युवा: प्रो. ढल्ला

युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि अत्यधिक व्यायाम शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
उन्होंने कहा, “ज्यादा एक्सरसाइज की बजाय संतुलित या मॉडरेट एक्सरसाइज बेहतर है, वरना हार्ट पर अनावश्यक दबाव बनता है।”

एंजियोप्लास्टी की जरूरत केवल 15–20% मामलों में

हार्ट ब्लॉकेज और एंजियोप्लास्टी पर बोलते हुए प्रो. ढल्ला ने बताया कि

80% मामलों में एंजियोप्लास्टी की जरूरत नहीं होती।

केवल 15–20% मामले गंभीर होते हैं, जिनमें एंजियोप्लास्टी करनी जरूरी होती है।

उन्होंने कहा कि कई बार डॉक्टर ब्लॉकेज का हवाला देकर एंजियोप्लास्टी सुझा देते हैं, जबकि कई मरीजों में एस्पिरिन या डिस्परिन जैसे ब्लड थिनर से ही सुधार देखा जा सकता है।

स्ट्रेस बना बड़ा खतरा, नर्वस सिस्टम पर सीधा असर

प्रो. ढल्ला ने तनाव को आधुनिक समय की सबसे बड़ी बीमारी बताते हुए कहा कि स्ट्रेस के कारण दिमाग से नॉन-एफरिन नामक केमिकल रिलीज होता है, जो हार्ट डिजीज की स्थिति को और खराब कर देता है।
उन्होंने बताया कि सिंपेथैटिक नर्व्स सिस्टम के अत्यधिक सक्रिय होने से एड्रिनल सिस्टम कैटेकोलामिन्स बनाता है, जो दिल पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

प्रकृति ने शरीर में बनाया संतुलन

साइटोकाइन्स का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि शरीर में 28 तरह के साइटोकाइन्स होते हैं—कुछ इन्फ्लामेटरी और कुछ एंटी-इन्फ्लामेटरी।
उन्होंने कहा, “प्रकृति ने शरीर में हर जगह संतुलन बनाया है। इसी संतुलन का हिस्सा सिंपेथैटिक सिस्टम भी है।”

डायबिटीज से बढ़ता कार्डियोवस्कुलर जोखिम

उन्होंने बताया कि डायबिटीज के कारण होने वाला आर्थोस्क्लेरोसिस कई बार इस्कीमिक हार्ट डिजीज का कारण बनता है, जिसे डायबिटिक कार्डियोमायोपैथी कहा जाता है।
कैल्शियम और मैग्नीशियम के संतुलन और एटीपीएसे एन्जाइम की भूमिका पर भी उन्होंने विस्तार से चर्चा की।